
संसद के मानसून सत्र में सोमवार 28 जुलाई से एक बेहद महत्वपूर्ण विषय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की शुरुआत होगी। यह बहस लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से शुरू की जाएगी। वहीं 29 जुलाई को राज्यसभा में इस विषय पर चर्चा प्रस्तावित है। सूत्रों के अनुसार, दोनों सदनों में इस विषय पर कुल 16 घंटे तक चर्चा होगी, जो हाल के वर्षों में किसी सैन्य मिशन को लेकर सबसे लंबी बहस मानी जा रही है।
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अभियान है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक इसकी औपचारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यह ऑपरेशन भारत के सामरिक हितों, अंतरराष्ट्रीय रणनीति और सुरक्षा-राजनयिक मिशन से जुड़ा है।
सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन भारतीय रक्षा बलों द्वारा हाल ही में चलाए गए एक गोपनीय मिशन से जुड़ा हो सकता है, जिसमें भारत ने अपनी कूटनीतिक और सैन्य क्षमता का एक बार फिर प्रदर्शन किया है।
कौन-कौन लेंगे चर्चा में हिस्सा?
इस विषय पर चर्चा लोकसभा और राज्यसभा दोनों में होगी। जानकारी के अनुसार:
लोकसभा (28 जुलाई):
राजनाथ सिंह – रक्षा मंत्री, चर्चा की शुरुआत करेंगे
अमित शाह – गृह मंत्री
एस. जयशंकर – विदेश मंत्री
अनुराग ठाकुर – भाजपा सांसद
निशिकांत दुबे – भाजपा सांसद
नरेंद्र मोदी – प्रधानमंत्री के भी चर्चा में शामिल होने की संभावना
राज्यसभा (29 जुलाई):
राजनाथ सिंह
एस. जयशंकर
अन्य केंद्रीय मंत्री
प्रधानमंत्री मोदी के उच्च सदन में भी चर्चा में भाग लेने की उम्मीद
कितनी देर चलेगी बहस?
दोनों सदनों में मिलाकर कुल 16 घंटे की चर्चा प्रस्तावित है। लोकसभा में 28 जुलाई को 8 घंटे और राज्यसभा में 29 जुलाई को 8 घंटे तक यह मुद्दा छाया रहेगा।
चर्चा के संभावित मुद्दे
हालांकि सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के विवरणों को गोपनीय रखा है, लेकिन संसद में होने वाली लंबी चर्चा से ये संकेत मिलते हैं कि,
•यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है।
•इसमें भारत के विदेशी संबंधों और सैन्य कूटनीति की झलक मिलेगी
•यह संभव है कि यह ऑपरेशन भारतीय नौसेना या सीमाई क्षेत्रों में हालिया गतिविधियों से जुड़ा हो।
•सरकार इस अवसर पर भारत की वैश्विक शक्ति के तौर पर छवि को मजबूत करने वाले प्रयासों को सामने रखेगी
राजनीतिक और कूटनीतिक नजरिया
इस चर्चा को केंद्र सरकार के रणनीतिक दृष्टिकोण के प्रचार के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसमें विपक्ष की प्रतिक्रिया, सवाल और आलोचना भी सामने आ सकती है। वहीं, सरकार इसे “न्यू इंडिया की शक्ति” और “मजबूत विदेश नीति” के उदाहरण के तौर पर पेश कर सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी क्यों अहम?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा और राज्यसभा दोनों में इस चर्चा में भाग लेना यह दर्शाता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सरकार कितनी प्राथमिकता दे रही है। यह मिशन केवल सैन्य नहीं बल्कि राजनयिक और वैश्विक मंचों पर भारत की छवि से जुड़ा विषय हो सकता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर होने वाली यह 16 घंटे की चर्चा संसद के इस सत्र की सबसे अहम बहस बन सकती है। यह न केवल भारत की सुरक्षा रणनीति को संसद में प्रस्तुत करने का अवसर है, बल्कि आने वाले चुनावों से पहले सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने लाने का राजनीतिक मंच भी।
आगामी दिनों में जब सरकार इस मिशन से जुड़ी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक करेगी, तब स्पष्ट होगा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सुरक्षा नीति के इतिहास में किस रूप में दर्ज होगा।