
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पाकिस्तान को अस्थायी रूप से अध्यक्ष बना दिया है। यह नियुक्ति रोटेशनल प्रक्रिया के तहत हुई है, जो हर महीने बदलती है। हालांकि यह नियुक्ति सीमित समय के लिए है फिर भी इससे पाकिस्तान को एक वैश्विक मंच पर अपनी बात रखने का मौका मिलता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस नई भूमिका में पाकिस्तान क्या कदम उठा सकता है और इसका भारत-पाक संबंधों और कश्मीर जैसे मुद्दों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
पाकिस्तान की भूमिका: क्या बदलेगा वैश्विक दृष्टिकोण?
UNSC का अध्यक्ष होने के नाते पाकिस्तान को एजेंडा तय करने, मीटिंग संचालित करने और प्रेस स्टेटमेंट जारी करने जैसे अधिकार मिलते हैं। यह स्थिति पाकिस्तान को वैश्विक कूटनीति में खुद को एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में दिखाने का मंच देती है। हालांकि किसी भी प्रस्ताव को पास कराने के लिए परिषद के स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है लेकिन फिर भी मंच मिलने का मतलब है, पाकिस्तान अपनी राय और विरोध दर्ज कराने की स्थिति में है, खासकर भारत के संदर्भ में।
भारत पर संभावित असर
पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाने की कोशिश कर सकता है।
आतंकवाद पर वैश्विक दबाव कम करने के लिए नरम बयानबाज़ी हो सकती है।
भारत को अपने राजनयिक और रणनीतिक मोर्चों को मज़बूत बनाए रखना होगा।
हालांकि भारत की वैश्विक साख, अमेरिका, फ्रांस, रूस और कई अन्य देशों के साथ मजबूत रिश्ते, इस तरह के किसी भी ‘एकतरफा दबाव’ को संतुलित कर सकते हैं।